25-Hours of EATING only TRAIN FOOD from Delhi to KOLKATA | Indian Street Food on Indian Railways!

25-Hours of EATING only TRAIN FOOD from Delhi to KOLKATA | Indian Street Food on Indian Railways!

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चलो एक नए सफर पर चलते हैं हिंदुस्तान की रगों में दौड़ती दो पटरियों पर रेलगाड़ी के सफर पे साल समोसे बताओ यार फ्रेश है कि नहीं सच बताओ जहां हर 100 किलोमीटर पर बदलते लोग बदलती जुबान बदलती तहजीब तो बदलता दस्तरखान लेकिन लाल डिब्बों की इन खिड़कियों से दिखता सबको एक ही हिंदुस्तान अब यह जो पूरा रूट है वो अभी बिहार का ही चलेगा पूरा फल हो जाता है पूरा पैक मैं जा रहा हूं कोलकाता और उसी ट्रेन में बदलते जायको की 25 घंटे की इस दावत में हम पूर्व एक्सप्रेस से दिल्ली यूपी बिहार और झारखंड को चकते हुए पहुंचेंगे वेस्ट बंगाल में अपनी मंजिल हिंदुस्तान की कल्चरल कैपिटल और पहली राजधानी कोलकाता ओरे चीतल माछ मुठ गरम भाते दई फला बांगली खा चीना जापानी ल दिल्ली की ठंड शुरू हो चुकी थी जिसकी ढलती दोपहर में मैं पहुंच गया न्यू दिल्ली रेलवे स्टेशन 12 सितंबर 1837 में शुरू हुई य इंडियन रेलवेज 186 सालों में भाप से लेकर बिजली का सफर करते हुए 70000 किलोमीटर की पटरियों से पूरे भारत को जोड़ आज दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है जिस परे लगभग ढाई करोड़ मुसाफिर रोज सफर करते हैं और इसी रेल नेटवर्क के रोजाना के 10 लाख यात्रियों वाला दुनिया का सबसे बड़ा स्टेशन ही है हमारी मंजिल हावड़ा [संगीत] जंक्शन और हमारी यह जर्नी जो है इस ट्रेन से है जिसका नाम है पूर्व एक्सप्रेस यह ट्रेन जा रही है दिल्ली से हावड़ा जंक्शन सामान कुछ खास नहीं था लेकिन फिर भी रेलवे की लाल सेना के एक सिपाही ने मुखातिब होते हुए कहा ₹ लेंगे दो सामान यह लाइन काफी लंबी है आपको दूसरे रास्ते से लेकर चलता हूं इशारा मिलते ही सामान आगे और मैं इस लाल चटक कमीज ढीले सफेद लहराते पजामे के नीचे मटमैला जूतों के पीछे-पीछे दाखिल हुआ रेलवे स्टेशन की नई दुनिया में नई दिल्ली स्टेशन का दो साइड है एक पहाड़गंज एक अजमेरी गेट हमने एंटर किया अजमेरी गेट की तरफ से सालों से वजन ढोने के बावजूद स्कूली की मुस्कुराहट अब भी जवान थी सुनहरा बिल्ला बाजू से जगड़ा हुआ था और ₹1 की कीमत का यह सफर 16 नंबर प्लेटफार्म से हजारों मुसाफिरों के बीच से गुजरते हुए कभी पैदल कभी सीढ़ियों से कभी लड़खड़ाते वजन की बेड़ियों से हटो बचो के शोर में हम आ ठहरे प्लेटफार्म नंबर 12 पे लेकिन पूर्वा एक्सप्रेस के आने में अभी भी वक्त था a2 ए2 यही आएगा कुली की मुस्कुराहट जयो की तयो थी मेहनताना देते हुए मैंने बस ऐसे ही सवाल किया क्या नाम है आपका मेरा इमतियाज नाम इमतियाज नाम है चलिए भाई बहुत-बहुत शुक्रिया यहां कितने टाइम से आपको मे हुआ 23 साल क साल से ₹ के रेट में आया था मैं ये जो आपका ये पिला नंबर है ये पापा का उनकी डेट हो गई 63 सालों में दो नस्लों को पाला था इस बिल्ला नंबर 394 ने यह पीतल सोने से कम नहीं था इमतियाज भाई की कहानी से मैं कुछ देर के लिए सन्नाटे में चला गया सहम सा गया और उनके चेहरे की मुस्कुराहट ने मेरी सहूल तों को बेआबरू कर दिया मेहनताना लेकर पलक झपकते ही वह भीड़ में गुम हो गए और मेरी बेचैनी पानी तलाशने लगी नजरें घुमाई तो सामने ही एक स्टॉल था दुकान के नजदीक पहुंचा तो यहां फल बिक रहे थे सेब से लेकर पपीता अनार अमरूद और केला जिसकी एक सरकारी रे लिस्ट सामने ही चिपकी थी लेमन दे दो एक ट्रेन तो यार आने में अभी है टाइम लग रही है प्याज जब तक जो है मैनिया के जूस से काम चलाते हैं [संगीत] लेमन आ हैव र अटेंशन प्लीज ट्रेन के आने में अब भी वक्त था प्लेटफार्म प ही कुछ खाने को तलाशते हुए मुसाफिरों से घिरी एक दुकान दिखी जहां चाय की मशीन दूर से ही झांक रही थी यहां चिप्स बिस्किट नमकीन और पानी भी बिक रहा था और भाई क्या नाम है शिवम शिवम शिवम और भाई आपका नाम क्या है करमवीर दो सैंडविच दे दो और दो ये बर्गर पैक कर दो समोसे बताओ यार फ्रेश है कि नहीं सच बताओ ईमानदारी से चलो दो समोसे पैक करलो मैंने सफर के लिए समोसे और सैंडविच पैक करवाए और चाय के साथ एक सैंडविच खाने के लिए मा और साथ में चाय चाय की चुस्की ली तो इलायची का मजा आया लेकिन सैंडविच में ब्रेड ही ब्रेड महसूस हुई अंदर की फीलिंग गुमशुदा थी यहां रेट लिस्ट प तो लगाम थी लेकिन जायके में में बहुत तंगी यात्र कृपया न पूर्वा एक्सप्रेसली ट्रेन के आने का सिग्नल मिलते ही भीड़ बटुर कर तैयार हो चुकी थी सूरज उतार पर था और शाम नारंगी सी हो रही थी और हमारी ट्रेन पूर्वा एक्सप्रेस रंगती हुई प्लेटफार्म नंबर 12 से चिपक के जैसे ही लगी भीड़ ट्रेन के अंदर एक साथ घुसी हमने टिकट किया है सेकंड एसी का और सेकंड एसी की जर्नी मुझे कॉस्ट कर रही है लगभग 000 लगभग 23 घंटे की जर्नी है दिल्ली से मैं तो यार बहुत ज्यादा एक्साइटेड हूं 15 है 16 हमें बिल्कुल आगे जाना है थोड़ी भीड़ छटी तो मैं सेकंड एसी के कोच में दाखिल हुआ जहां मेरे उल्टे हाथ पे दो बेड नुमा सीटें थी तो दाहिने हाथ प चार ट्रेन मुनासिब साफ थी और मैं मरून पर्दों के गलियारे से होते हुए अपनी सीट पर पहुंचा तो इस केबिन में सिर्फ दो सीटें थी ये मिल गई है हमारी सीट हाफ कूप है इसीलिए यहां पर सिर्फ दो सीटें हैं कांच की खिड़की के नीचे एक ट्रेन हुआ टेबल थी लेदर की दो कत्थाई सीटें थी जिसके सिरहाने लाइट और चार्जिंग पॉइंट था और बेडिंग यहां लगा दी गई है और ब्लैंकेट दी जाती है दो अगल बगल के मुसाफिरों की हलचल अब थम चुकी थी ट्रेन ने भी रफ्तार पकड़ ली थी इतने में आसमानी वर्दी में यह चचा ताजी चाय लेकर के आए चाय कितने की है आप अच्छा चलिए दो चाय बिला दीजिए मैंने फौरन एक कड़क कप मांगा और यह देसी है मेरी इस ट्रेन के सफर का पहला जायका ठीक है दूध कम पानी ज्यादा मिठास बिल्कुल बराबर जैसी ट्रेन की चाय होती है बिल्कुल वैसे ही है थोड़ी देर में नेवी कोर्ट में टीटी साहब यानी ट्रेवलिंग टिकट एग्जामिनर टिकट चेक करके गुजरे तो मैंने चाय दोहरा दी क्योंकि समोसे अभी भी रखे थे खुशबूदार मसालों में यह समोसा ठंडा भी मजेदार था मेरी ट्रेन की यादों के खजाने में पनीर पकौड़ा बहुत खास है क्या क ना लेकर ग ये चौमिन है पनीर पकोड़े है ब्रेड ऑमलेट है अच्छा यही बनाया आपने सब जी सर पकोड़ा कितने का है 50 और चाउमीन पकड़े खवाए इत्तेफाक से यह दो पैंट्री के स्टाफ गरमागरम पकड़े बस फौरन ही लेकर आए थे बेसन की मोटी परत में लिपटा पनीर अब दुबला हो चुका था अब वह बचपन वाला जायका तो नहीं आया लेकिन यादें जरूर ताजा हो गई ट्रेन का सफर जब कई स्टेशन से गुजरा तो ट्रेन उत्तर प्रदेश में दाखिल हो चुकी थी शाम गुजरी जाला गुजरा और यादों के खजाने का एक और जायका बगल से गुजरने को ही था चाय कॉफी टमाटर सूप कि मैंने उसे ट्रेन वाला टमाटर का सूप समझ के रोक लिया लेकिन यह रेडी मिक्स वाला सूप निकला भाई साहब ने पाउडर वाले टमाटर सूप पे स्टील के ड्रम से गर्म पानी डाला और बड़ी नजाकत से पेपर के कप में चम्मच घुमाता रहा सूप गाढ़ा हो गया तो उसने मेरे हाथ में थमा दिया स्कूल टाइम में जब भी मैं ट्रेन से ट्रेवल करता था उन दिनों ट्रेंस में सूप सर्व होता था बना बनाया आज रेडी मिक्स आ गया है तो वो मेमोरी बचपन की मैं करता हूं रिफ्रेश भाई ठंड में सूप ने मजा तो दिया लेकिन वो बात नहीं आई हां खाना वेज नॉनवेज खाना वेज नॉनवेज रात हो चुकी थी और डिनर डिनर की आवाज गूंजते हुए मेरे नजदीक आ गई वेज में सर आपको एक सब्जी मिलेगा मिक्स वेज हां दाल फ्राई राइस रोटी एक मिठाई ठीक 80 पर प्लेट है और नॉनवेज में क्या है अंडा कररी है चिकन कररी हल्की मुस्कान और नर्म चेहरे वाला ये स्टाफ सीनियर मालूम हो रहा था इसने बड़े अदब से डिनर का ऑर्डर लिया ऑप्शन में वेज थाली थी और चिकन थाली मैंने दोनों मंगा [संगीत] ली लाल ट्रे में चार फाइल के डब्बो पे कागज का ढक्कन था गरम पैकेट से मैंने खाना बेपर्दा किया दही वेरी गुड ये मुझे लग रहा है चावल है चावल भी ताजे ताजे हैं अरहर की गाढ़ी दाल थी और थे मसालेदार लटपटे मिक्स वेज के साथ चार ताजे [संगीत] फुलके वाह भाई वाह साथ में ये रही दही चिकन का भाई कलर देखो ओए होय होय हो होए हा हा क्या जबरदस्त खुशबू आ रही है भाई दूसरी थाली में झांका तो सब कुछ दोहराया हुआ था सिवाय इस चिकन करी के और इस लाल रोगन वाले शोरब से क्या जबरदस्त खुशबू उठ रही थी टू गुड [संगीत] भाई खाना समेट नींद ने दस्तक देनी शुरू कर दी मैंने कुर्सी नुमा बैठक को नीचे गिराकर बेड बनाया और खाकी पैकेट से निकली दो सफेद चादरों में से एक को इस मरून बेड के बगलो में दबाया सिरहा ने रखी दुबली सी तकिया और गहरे नीले कंबल के नीचे दूसरी चादर की परत लगाकर रेलगाड़ी की धप कियों में मैं नींद की आगोश में बेखबर हो गया ते हावड़ा को जाने वाली प्लेटफॉर्म क्रमांक ती पर आ रही है ट्रेन में नींद की खामोशी थी शोर था तो बस इस सफर का खिड़कियों से लपल पाती हुई रोशनी आती और रात की अंधेरे में गुम हो जाती चाय चाय चाय चाय चाय की सदा से मेरी आ आ थोड़ी जल्दी खुल गई सुबह के 7:00 बज चुके थे मैंने सोचा सबसे पहले ब्रश कर लेता हूं वरना बेसिन पर भीड़ बहुत ज्यादा हो जाएगी यहां मैं मंजन से मंटी फ्रेश हुआ कि ट्रेन एक स्टेशन पर आके थम गई दरवाजा खोलकर बाहर निकला तो ओस में मिली हुई ठंड की खुशबू सी आई और नजरों के सामने लिखा था आरा जंक्शन हम लोग भाई पूरी रात चल कर के उत्तर प्रदेश से होते हुए अब ये ट्रेन एंटर कर गई है बिहार और बिहार की सरजमीन पर मैंने आज पहली बार कदम रखा था जो है इंडिया का तीसरा सबसे बड़ी आबादी वाला राज्य चाय दे दोई ठंड ने सुबह की पहली चाय की तलब और बढ़ा दी चाय पीकर में सीधा निकल पड़ा पेंट्री कार की तरफ जहां सुबह का नाश्ता तेजी से तैयार हो रहा था तीन चार कोच आगे हैं [संगीत] प अपने कोच से निकलते हुए अगले कोच में पहुंचा तो सबसे पहले एसी फर्स्ट आया जिसमें दो सीटों वाला प्राइवेट केबिन था यहां से आगे बढ़ा तो थर्ड एसी वाले कई कोच लगातार आए यहां भीड़ थोड़ी ज्यादा थी और दाहिनी तरफ छह सीटें थी जगह थोड़ी तंग थी और ट्रेन के इन गलियारों में अभी सुबह होना बाकी [संगीत] थी इस्तकबाल करते हुए चेहरों के बीच में इस ट्रेन के बावरची खाने में पहुंचा तो बीचोबीच एक काउंटर नुमा प्लेटफार्म पर एलुमिनियम के बड़े-बड़े भगने लाइन से चढ़े थे जिसकी भट्ट बिजली की कॉइल की थी फ्रिज से लेकर चिमनी यहां सब था मनिंग यह चाय बन रही है चाय मुझे लगता है दिन भर बनती रहती है के लिए वेज कटलेट तैयार थे और हेड बावरची ऑमलेट लगातार उतार रहा था और यह कारीगर बाल्टी नवा इस बर्तन में दूध की स्पेशल चाय को इत्मीनान से काट रहा था बगल में खड़े टीटी साहब ने मुस्कुराते हुए कहा आइए आपको जनता के स्लीपर क्लास का हाल दिखाता हूं मैंने सोचा उसमें ऐसी क्या खास बात है ये तो विदाउट टिकट है सारे विदा टिकट है टिकट हैरे को है कुछ हम लोग कर सकते हम चलते हैं आगे आगे आइए सर आइए हम निकल रहे हैं आप आइए नहीं तो आप नहीं निकल पाए चलिए भाई थोड़ा थोड़ा जगह जगा भाई और जो देखा व सोचा नहीं था पैंट्री कार से स्लीपर का मुंह भीड़ से बंद था जबरन जगह बनाते हुए एक स्टाफ मुझे अंदर लेकर गया तो बैठने की छोड़िए खड़े होने की जगह भी नहीं थी जब ये स्लीपर का हाल है तो फिर जनरल का क्या पूरा फल हो जाता है पूरा पैक जनता का यह हाल देख में उदास सा हो गया वही स्टाफ धक्का मुक्की करते हुए वापस लाया बिहार की पब्लिक को नमन भाई इतनी मेहनत से आप लोग ट्रैवल करते हो भाई तो चाय भी तैयार हो चुकी थी और यादव जी ने मुस्कुराते हुए मेरे लिए एक कप चाय फौरन परोसी चाय खत्म होते ही मुझे अपनी सीट पर लौटने को कहा गया क्योंकि मेरा नाश्ता भी तैयार था भूख अब जोरों की लगी थी इसलिए मैंने इस गरमागरम वेज कटलेट को सफेद ब्रेड की दो फकों से बेपर्दा किया मसाले और मसले हुए उबले आलु हों पर रवे की परत लगाकर इसे अंडे की शक्ल में तला गया था मैंने ब्रेड की सफेदी को मक्खन से ढका और एक कटलेट ऊपर रख केचप की एक परत चढ़ाकर एक तय में दबिश देते हुए सैंडविच बनाकर इसका पहला जायका लिया हम मजा आ गया अच्छा अच्छा ये दिया है साथ में एक केचप इसमें भी दो स्लाइस ब्रेड और यह रहा भाई गरमागरम ऑमलेट ऑमलेट भी ठीक वैसे ही दो ब्रेडों के नीचे छुपा हुआ था और मैंने जब इसका रसीला जायका लिया तो हरी मिर्च ने अलग से मजा दिया नाश्ता खत्म होते ही अगला स्टेशन आ गया ट्रेन खाली होने लगी पूछने पर पता चला हम बिहार की राजधानी पटना पहुंच चुके थे और ये ट्रेन यहां 10 मिनट रुकेगी मेरी भूख अब भी बाकी थी मैंने प्लेटफार्म पर नजरें घुमाई तो सामने ही एक दुकान दिखी कदम खुद ब खुद बढ़ गए यूजुअली जितने भी ऐसे काउंटर्स हैं वहां पर ब्रेकफास्ट लंच और डिनर जो रेलवे की तरफ से वो आता है जिसका बहुत ही बेसिक प्राइस होता है नॉमिनल प्राइस होता है कचौड़ी है पैटी है ये क्या भैया कचौड़ी है क्या है पैटी फ्रेश आई है दो पैटी दे दीजिए पराठा सब्जी भी अभी आया है कितने की रुपए की प्लेट है ये 50 की चलो यहां पर ये मिल रहा है भाई खीरा कैसे दे रहे हैं पपीता प्लेट और खीरा 10 का एक 10 का एक बना के दे तो दे दो एक चाकू के इशारे से ही खीरे की खाल उतर गई और भाई ने बड़े हुनर से चाकू से खीरे को भेद करर चार फाके खोली और मसाला बीच में बुरक कर मेरे हवाले किया बहुत-बहुत धन्यवाद भाई हस शायद खुराक से ज्यादा थी इसलिए बड़े-बड़े इन अमरूदों पर भी नजर पड़ ही गई नजदीक पहुंचा तो ट्रेन ने सीटी बजा दी शायद नसीब में ही नहीं थे फरन भाग के ट्रेन वापस पकड़ी मैंने सबसे पहले खीरा खाया तो उसमें नमक जजब हो चुका था मजेदार थाय मसाला बढ़िया है कितना नंबर हैय दोन नीचे ली हमारी बैठ सकते नाश्ते का पैकेट खोला तो उसम दो सादे पराठे और एक अचार था फइल की पन्नी से सब्जी मैंने उसी में पलट दी जबरदस्त खुशबू उठी और लटपटे आलू और सोयाबीन की सब्जी दिखी गुनगुने पराठे का मैंने एक निवाला बनाया और सब्जी के साथ उसका जायका लिया वाह वाह वाह मजा आ गया चलो रस्मान ही सही मैंने पटना का जायका तो चखा मुसाफिर बदला मौसम बदला और नाश्ते ने भी पेट में जगह बना ली तो कॉफी वाले की आवाज सुनते ही पैटी का ख्याल भी आ गया नीली बाल्टी और स्टील के गर्म पानी वाली टंकी पैंट्री के स्टाफ ने फर्श पर टिकाई और एक कैपेचीनो का पैकेट खोलकर एक कागज के कप में पलट दिया ऊपर से डाला खोलता हुआ पानी और चम्मच से घोट के ₹ की कॉफी तैयार कर दी मैंने पैटी को बड़े एहतियात से काटा अंदर कुछ है भी नहीं पैटी में क्योंकि फूली हुई ज्यादा कुछ नहीं है इसमें पर आलू का नामो निशान नहीं था पै खाली है धोखा हो गया अंदर से खोखली यह पैटी मानो पफ ही थी शुगर है कॉफी अच्छी [संगीत] थी अगला स्टेशन बाड़ था इस जगह का नाम मैंने पहली बार सुना था री बिहार के एक स्टेशन है दो मिनट रुकेगी यहां ट्रेन बस हां भाई बहार अच्छा है साना और बिहार के इसी स्टेशन से बिना टिकट एक खास बिहारी जायका भी ट्रेन में चढ़ा इसे मूंग चना चाट कहते हैं रोज रोज घूमते हो अरे कोई बात नहीं बताओ तो शाम तक खत्म हो जाता है रोज का काम है और घर कहां है आपका ब बख्तियारपुर से खुले बटन कथाई गमछा और कथे के धब्बों से झांकती मुस्कान वाले इस भाई ने बास की टोकरी एक पैर पर टिकाई जिसमें एक तरफ अंकुरित मूंग थी तो दूसरी तरफ मुलायम चनों से सफेद अकब झांक रहे थे फख में टमाटर नींबू और कुतरी हुई मूली भी थी भाई ने हाथों के अंदाजे से मूंग और चने के ऊपर डाली मूली और धुए दार हरी मिर्च और नींबू निचोड़ करर नमक के साथ उछलते हुए र की यह प्लेट मुझे थमा दी ट्रेन में बिकता हुआ ऐसा जायका मैंने पहली बार चखा था स्प्राउट्स ज्यादा खाए जाते हैं इस इलाके में मैंने देखा है स्पेशली जो बिहार साइड है जो इस इलाके के लिए आम था वो मेरे लिए खास था जबरदस्त चटपटा भाई मौसम पर बारिश ने दबिश बनाई तो दोपहर शाम सी हो गई और अगले स्टेशन के साथ हम दाखिल हो गए झारखंड द लैंड ऑफ फॉरेस्ट खाने को कुछ दिख नहीं रहा है य पर लेकिन मैं रिस्क नहीं लूंगा भाई पता लगा कि ट्रेन मूव कर गई और मैं बाहर ही रह गया चल गई ट्रेन भाई कुछ खाने के लिए ढूंढ रहा था लेकिन सब कुछ दूर था जसीडी के इस स्टेशन पर भी ट्रेन सिर्फ दो मिनट रुकी और वक्त से ही रंगने लगी मायूस होकर सीट पर लौटा ही था कि एक और जायका बिना टिकट फेरी लगा रहा था आवाज आई नमकीन ले लो नमकीन बादाम है मूंग का डाल है हरा मटर है चना है यह वाली दो काली वाली क्या क्या बेच रहे सब जो लीगा यह फेरी वाला वो रंग बिरंगी गोलिया बेच रहा था जो जादू से गुजरे हुए कल यानी बचपन में ले जाती हैं मैंने एक मसालेदार दाल ली और एक काली खट्टी टॉफी का पैकेट लेते ही एक गोली जैसे ही जुबान पर रखी पूरा बचपन आंखों के आगे नाचने लगा मसालेदार दाल भी चटपटी थी और मजेदार [संगीत] थी दो बज चुके थे और बारिश की वजह से ट्रेन दो घंटे की से चल रही थी मुझे ट्रेन में अब 20 घंटे हो चुके थे और इस अगले मशहूर स्टेशन जामताड़ा के आते ही हम दाखिल हो चुके थे बांग्लादेश नेपाल और भूटान के सरहद से जुड़े राज्य वेस्ट बंगाल [संगीत] में बंगाल नाम सुनते ही जो पहला जायका मेरे जहन में आया वह था झालमुड़ी मेरा सोचना था कि एक नौजवान फेरी वाला टीन का लाल डब्बा गर्दन में टांगे हुए सामने आ गया इस चलती फिरती दुकान में चना पापड़ी प्याज और ममरे ऊपर ही सजे थे इस नौजवान ने बड़ी रफ्तार से एक एलुमिनियम के डब्बे में दो मुट्ठी मुरमुरे डाले चने को प्याज से छूते हुए उठाया और ऊपर से सूखा मसाला डाल साथ में डाला अचार और सरसों के तेल का गीला मसाला और उसी पत्ती नुमा चम्मच से डब्बे को फेट करर उसने कागज का एक कोन बनाकर झालमुड़ी पलट दी और चने और प्याज से सजाकर मेरे हाथ में पकड़ा दिया के ऊपर से गया चना बहुत बहुत धन्यवाद [संगीत] भाई मैंने इसका पहला जायका लिया तो मेरे होश उड़ गए कोलकाता के आने से पहले ही उसके जायको ने रंग दिखाने शुरू कर दिए थे मैं कोलकाता से मिलने के लिए बेचैन था और हमारा यह सफर तेजी से अपनी उसी मंजिल की तरफ बढ़ रहा था रेलगाड़ी की दुनिया में कुछ हो ना हो मुसाफिर वक्त का धनी जरूर होता है कुरकुरे का भाई [संगीत] चरचौघी मैंने जायका लिया तो यह बस ठीक सा था कुल्लड़ वाली चाय बिकने आई तो मैं समझ गया अब कोलकाता ज्यादा दूर नहीं है चाय में इलायची और अदरक का जायका एक साथ आया कुछ दूध में इस इलाके में महक थोड़ी अलग सी [संगीत] है हां लेकिन चाय अब थोड़ी पत्ती बदली है बंगाल में आकर के ये कुल्लड़ वाली चाय अच्छी है बदलती जुबान से बदलते इंसान देखे लहजा बदला लिबास बदला जायके के इस सफर पर सब बदला पर हर मुसाफिर का मजहब फिर भी हिंदुस्तान निकला शाम रात में तब्दील हो चुकी थी ठंड बढ़ चुकी थी और ट्रेन अपनी मंजिल चूमने को तैयार थी और हम पहुंच चुके थे वेस्ट बंगाल की राजधानी कोलकाता के हावड़ा जंक्शन मैंने प्लेटफार्म पर जैसे ही कदम रखा एक बड़े शहर की महक सी आई बहुत बड़ा शहर है भाई बहुत बड़ा शहर है कोलकाता यार लोग बदल गए जुबान बदल गई और मैं इस अनजान सी दुनिया में बाहर निकलने का रास्ता तलाशने लगा भीड़ के पीछे पीछे इस शहर की हवा को महसूस करते हुए मैं आगे बढ़ा तो एक अनजान से चेहरे ने कंधे पर हाथ रखा चेहरा देख मेरी खुशी का ठिकाना ना र हेलो भाई अपना दोस्त आया है स्कूल का दोस्त है मेरा ये बचपन का यार य यू टू बी सो स्मल इतना बड़ा हो गया है यह साहब है मेरे स्कूल के बचपन के दोस्त डॉक्टर इरफान जिससे मैं स्कूल के 15 साल बाद आज पहली बार मिल रहा हूं मेरी फिक्र सुकून में में बदल गई और मैं इन बिना सीढ़ियों वाले प्लेटफॉर्म्स पे भीड़ को फलांग हुए अपने दोस्त के पीछे-पीछे गाड़ी तक पहुंच गया सालों के किस्से छोटा सा सफर डॉक्टर साहब ने मुझे अपने शहर से रूबरू करवाते हुए आखिर मेरे होटल तक पहुंचा दिया हेलो हाय हि शु ब्रो और कल आपको अपने साथ लेके चलूंगा सिटी ऑफ जॉय कोलकाता के जायके के पहले सफर पे जहां कुछ नए दोस्त बनेंगे तो मिलेंगे कुछ अनजान जायको से सड़को पर फिरेंगे दरे और जिएंगे अपने हिस्से की जिंदगी का एक और दिन एक नए शहर में और तहजीब के शहर कोलकाता में आपका खैर मकदम है वाह वा वा और अगर आप सोच रहे हैं कि मैं कौन हूं मैं हूं वज इस कहानी का सूत्रधार रोवासी एसा श

2024-03-16 21:07

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